International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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मंडन मिसिर की खुरपी कहानी में महानगरीय बोध

Author(s) P.M.Bhumare
Country India
Abstract जहां पर बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं वहाँ पर उद्योग, सेवा, तकनीकी और शिक्षा के जैसे माध्यमों की विविधता होती हैं।गाँव की तुलना में महानगरीय परिवेश भिन्न होकर नव विचारों के सृजन में तीव्र गति से आगे बढ़ता है।जिसके कारण से व्यक्ति, समाज में क्रांतिकारी बदलाव आते हैं।साथ ही आर्थिक स्वावलंबन के कारण वैचारिक भिन्नता भी देखी जाती हैं।महानगरों में महँगाई और निवास की समस्या है जिसके परिणाम से संयुक्त कुटुम्ब पद्धति का विघटन और विभक्त कुटुम्ब परिवार का प्रचलन बढ़ जाता हैं।जिसके कारण महानगरीय जीवन संवेदनाहीन, पारिवारिक घुटन, जीवन मूल्यों के प्रति अनास्था जैसी प्रवृत्तियाँ बढ़ जाती है।प्रस्तुत कहानी में महानगरीय संस्कृति और जीवन में जो बदलाव आए है उनको अभिव्यक्त करना साथ ही गाँव और महानगरीय जीवन के वैषम्य से अवगत कराने का उद्देश्य रहा हैं।
Keywords मशीनी सभ्यता, घुटन और मानसिक संत्रास, आदर्श कुटुंब, व्यक्ती स्वातंत्र्य, जीवन में मूल्यों के प्रति यथार्थ, वृद्धों में स्वास्थ्य समस्याओं, जीवन में संवेदनशून्यता ।
Field Sociology > Linguistic / Literature
Published In Volume 6, Issue 2, March-April 2024
Published On 2024-03-09
Cite This मंडन मिसिर की खुरपी कहानी में महानगरीय बोध - P.M.Bhumare - IJFMR Volume 6, Issue 2, March-April 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i02.14787
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i02.14787
Short DOI https://doi.org/gtmbd2

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