International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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जेंडर का सवाल और वर्चस्व की राजनीति

Author(s) DEEPAK SINGH
Country India
Abstract इस शोध-पत्र में स्त्री की सामाजिक स्थिति के निर्धारण में पितृसत्ता के वर्चस्वशाली विचार की भूमिका का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है | आज यह बात स्थापित हो चुकी है कि जेंडर एक सामाजिक निर्मिति है, इसके निर्माण के पीछे पितृसत्ता का वर्चस्ववादी विचार सदियों से कार्य कर रहा है यहाँ तक कि विज्ञान भी इसमें सहयोगी भूमिका निभाता आया है | यौनिकता पर नियंत्रण का विचार इतना इतना वर्चस्वशाली है कि आज 21 वीं शदी में भी स्त्री या अन्य स्त्री-पुरुष के दायरे से इतर यौन रुझान रखने वाले लोगों के रहन-सहन, कपड़ा पहनने के तरीके, खान-पान आदि पर दुनिया भर में जंग छिड़ी हुई है | संवैधानिक अधिकारों की गारंटी सामाजिक बंधन के आगे असहाय नजर आती है | लेकिन इसी के साथ सकारात्मक बात यह भी है कि नारीवादी आंदोलनों और के आंदोलनों ने समाज के एक हिस्से की मानसिकता को बदलने में कामयाबी पाई है | दुनिया के कई देशों में स्त्री सहित LGBTQ समूह की स्वतंत्रता का स्तर बढ़ा है, इसकी प्रतिक्रिया भी हुई है मध्य एशिया, अफ्रीका के कई देशों में नारी और LGBTQ समूह की स्वतंत्रता के स्तर में गिरावट आई है उदहारण के रूप में हम ईरान, अफगानिस्तान आदि को देख सकते हैं | कुल मिलाकर यह अभी एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया है राजसत्ता और धर्मसत्ता का मजबूत गठजोड़ इसके रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है |
Keywords LGBTQ, सीमोन, महादेवी वर्मा, जेंडर, ट्रांसजेंडर, समलैंगिकता, हार्मोन
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 3, May-June 2023
Published On 2023-05-29

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