International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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आर्थिक उदारीकरण के परिणामस्वरूप होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभावों का विश्लेषण : भारत के संदर्भ में एक अध्ययन

Author(s) आशा नागर
Country India
Abstract आर्थिक उदारीकरण ने भारत में तीव्र आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरणीय संतुलन को गंभीर क्षति पहुंची है। औद्योगीकरण, शहरीकरण और बढ़ती उपभोक्तावादी प्रवृत्तियों ने जल, वायु और भूमि प्रदूषण को तीव्र किया है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हुआ है। आर्थिक उदारीकरण के प्रभाव स्वरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि हुई है, जिससे भारत का कार्बन फुटप्रिंट 2022 तक 2.88 बिलियन मीट्रिक टन CO₂ तक पहुंच गया। भारत ने 2005 की तुलना में 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं, औद्योगिक अपशिष्टों और अनियंत्रित प्राकृतिक संसाधन दोहन के कारण जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संकट जैसे मुद्दे सामने आए हैं। पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में भारत की 2022 की रैंक 180 देशों में से 180वीं रही, जो पर्यावरणीय प्रबंधन की कमजोर स्थिति को दर्शाती है। यह शोध पत्र आर्थिक उदारीकरण से उत्पन्न पर्यावरणीय क्षति का भारत के विशेष संदर्भ में विश्लेषण करता है और प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की हानि तथा पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों की गहन पड़ताल करता है। इसके अतिरिक्त, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में भारत की प्रगति का मूल्यांकन करते हुए नीतिगत सुधारों और हरित प्रौद्योगिकियों के माध्यम से संभावित समाधानों का सुझाव दिया गया है। निष्कर्षतः, यह शोध आलेख आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
Keywords आर्थिक उदारीकरण, पर्यावरणीय क्षति, जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधन, सतत विकास, ग्रीन टेक्नोलॉजी, पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक (EPI), भारत
Field Engineering
Published In Volume 7, Issue 1, January-February 2025
Published On 2025-02-24
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i01.37580
Short DOI https://doi.org/g855w5

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