International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार दर्शन में महिलाओं का स्थान

Author(s) Dr. Ms. Dr Sunita NA
Country India
Abstract सार- पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का आधार शुद्व भारतीय दर्शन हैI जिसमें सम्पूर्ण मानव समाज के लिये एकात्म भाव हैI भारतीय दर्शन में राष्ट्र जीवन का कोई भी पहलू इस अखंडमंडलाकार ब्रह्माण्ड से बाहर और अलग नहीं हैI इसलिए भारतीय दर्शन में समाज के किसी भी पहलू सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक या महिला सशक्तिकरण का ही विषय क्यों न हो, की अलग से व्याख्या, भारतीय दर्शन के महान विद्वान दीनदयाल उपाध्याय द्वारा किया जाना बहुत कम संभव हैI दीनदयाल उपाध्याय का चिन्तन हिन्दू चिन्तन है, जिसमें महिलाओं का स्थान मातृशक्ति के रूप में है और एकात्ममानववाद में जब व्यक्ति, परिवार समाज, राष्ट्र और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की बात होती है तो, व्यक्ति या मानव में (पुरुष और स्त्री) दोनों आते हैI दीनदयाल उपाध्याय ने समाज के किसी एक वर्ग की अलग अस्तित्व के लिए कोई विचार या सूत्र नहीं दिया हैI दीनदयाल उपाध्याय के विचार दर्शन में अलग-अलग प्रसंगों में महिलाओं के हित, सम्मान, दायित्व और अधिकारों की चर्चा बेशक हुई है, जहाँ दीनदयाल उपाध्याय ने इस सम्बन्ध में विचार करना आवश्यक समझा, परन्तु अलग से महिला अधिकारों के लिए झंडा उठाकर कोई आन्दोलन नहीं कियाI क्योंकि वह सबके संकलित विकास का विचार करने वाले विद्वान थेI प्रस्तुत शोध पत्र में इन्हीं प्रसंगों का अध्ययन किया गया है, जहाँ दीनदयाल उपाध्याय ने महिलाओं के हित के लिए अपने विचार रखेI
Keywords एकात्म भाव, महिलाओं के हित, मातृशक्ति, भारतीय दर्शन, हिन्दू चिन्तनI
Field Sociology > Politics
Published In Volume 7, Issue 2, March-April 2025
Published On 2025-04-05
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i02.40606
Short DOI https://doi.org/g9dg5n

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