International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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पर्यावरणीय शिक्षा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

Author(s) Dr. AJAY KUMAR GOVIND RAO
Country India
Abstract प्रस्तुत अध्ययन अत्यन्त उपयोगी तथा महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा वर्तमान पर्यावरण सम्बन्धी सभी भंयकर समस्याओं का सरल एवं सहज हल निकाला जा सकता है। भारतीय ऐतिहासिक दार्शनिक परम्परा में निहित पर्यावरणीय शिक्षा के तत्व हमें प्रकृति के अनुरूप चलने की शिक्षा देती है। ग्रीन हाउस प्रभाव, ओजोन क्षरण, जनसंख्या वृद्धि जैसी भौतिक व जैविक पर्यावरणीय समस्याओं तथा अलगाव, असहिष्णुता, हिंसा, लिव- इन-रिलेशनशिप, मानव मूल्यों का ह्रास जैसी सामाजिक व सांस्कृतिक पर्यावरणीय समस्याओं का अकाट्य समाधान भारतीय दार्शनिक परम्परा में सन्निहित है। विकासवादी अंधी संस्कृृति मानव को विनाश की ओर ले जा रही है। विश्व समुदाय को इन पर्यावरणीय समस्याओं की जानकारी देने तथा उनके निराकरण के उपायों से अवगत कराने के लिए इस अध्ययन तथा अनुकरण किए जाने की महती आवश्यकता है। इसके अध्ययन व अनुकरण से पुनः प्रकृति और मानव के बीच मर्मस्पर्शी तादात्म्य और दृष्टिकोण विकसित किया जा सकेगा, तभी प्राणी जगत् को असमय काल-कवलित होने से बचाया जा सकेगा।
Keywords पर्यावरण, शिक्षा, वैदिक, वेदान्त, सांख्य, योग, बौद्ध दर्शन, ऐतिहासिक
Published In Volume 7, Issue 2, March-April 2025
Published On 2025-04-12
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i02.40708
Short DOI https://doi.org/g9fb4g

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