International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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राष्ट्रों की समृद्धि और गरीबी में सूक्ष्म वित्त का प्रभाव: भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक निबंध

Author(s) Dr. Hemant Kumar, Dr. Priyamwada Kumari
Country India
Abstract सूक्ष्म वित्त उन छोटे विचारों में से एक है, जो बहुत बड़े प्रभाव डालते हैं। जब बांग्लादेश विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने 1970 के दशक में स्थानीय ग्रामीणों को छोटे ऋण देना शुरू किया, तो यह स्पष्ट नहीं था कि यह विचार कहाँ तक जाएगा। दुनिया भर में, कई सरकारी बैंकों ने पहले ही गरीब परिवारों को ऋण देने की कोशिश की थी, और उन्होंने अकुशलता, भ्रष्टाचार और लाखों डॉलर की बर्बाद सब्सिडी की विरासत छोड़ी।आर्थिक सिद्धांत ने उन निम्न आय वाले परिवारों को ऋण देने के प्रति भी पर्याप्त सावधानी बरती है, जिनके पास ऋण सुरक्षित करने के लिए संपार्श्विक नहीं होता। सूक्ष्म वित्त की सफलताएं अर्थशास्त्रियों को इस बारे में अपनी धारणाओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करती हैं कि गरीब परिवार किस तरह से बचत और संपत्ति बनाते हैं तथा संस्थाएं बाजार की विफलताओं पर कैसे काबू पा सकती हैं। सूक्ष्म वित्त सामाजिक-आर्थिक और समृद्धि परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में बहुत महत्वपूर्ण है
Keywords सूक्ष्म वित्त, माइक्रोक्रेडिट गरीबी, आर्थिक, स्वयं सहायता समूह
Field Sociology > Economics
Published In Volume 7, Issue 3, May-June 2025
Published On 2025-05-04
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i03.43806
Short DOI https://doi.org/g9hsm5

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