International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारत में उदारीकरण की नीति का एक अध्ययन

Author(s) डॉ स्नेहवीर सिंह
Country India
Abstract सारांश - आजादी के बाद पंडित नेहरु ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाना बेहतर समझा। लेकिन 1990 के दौर में "व्यापार करना राज्य का काम नहीं है", इस विचार के साथ ही दुनिया के बहुत से देशों में उदारीकरण की शुरुआत हुई, जिनमे भारत भी शामिल था। उदारीकरण को समझने के लिए अर्थव्यवस्था के प्रकारों को भी समझना आवश्यक है, जो मुख्यतः तीन प्रकार की होती है - समाजवादी, पूंजीवादी और मिश्रित। समाजवादी अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था राज्य के नियन्त्रण में होती है। जबकि मिश्रित अर्थव्यवस्था में राज्य का हस्तक्षेप सीमित हो जाता है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में राज्य का हस्तक्षेप न के ही बराबर होता है। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लगातार हो रहे निजीकरण ने एक नई बहस को जन्म दे दिया। गडबड वहां शुरू हुई जहाँ से असामान्य और अतिमहत्वपूर्ण सेवाओं को भी निजी हाथों में सौंप दिया गया। निजीकरण के इस दौर ने देश और दुनिया में असमानता को बुरी तरह से बढाया है।
Keywords उदारीकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक, अर्थव्यवस्था, निजीकरण, पूंजीपति, प्राइवेट, उद्योगपति
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 4, July-August 2023
Published On 2023-07-23
Cite This भारत में उदारीकरण की नीति का एक अध्ययन - डॉ स्नेहवीर सिंह - IJFMR Volume 5, Issue 4, July-August 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i04.4555
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i04.4555
Short DOI https://doi.org/gsh53d

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