International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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गोविन्द मिश्र के साहित्य में सामाजिक यथार्थ

Author(s) निकिता पांडे, डॉ निधि वर्मा
Country India
Abstract यह शोधपत्र समकालीन हिंदी साहित्य के प्रमुख कथाकार गोविन्द मिश्र के साहित्य में निहित सामाजिक यथार्थ के विविध पक्षों का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। गोविन्द मिश्र के उपन्यासों और कहानियों में भारतीय समाज की जटिल संरचना, वर्गीय अंतर्विरोध, स्त्री जीवन की पीड़ा, ग्रामीण-शहरी संघर्ष, सांस्कृतिक संक्रमण तथा मध्यमवर्गीय मानसिकता के द्वंद्व को सूक्ष्मता से उकेरा गया है।
उनकी रचनाएँ केवल सामाजिक विडंबनाओं की अभिव्यक्ति नहीं करतीं, बल्कि उन विडंबनाओं के कारणों की तह में जाकर मानवीय संवेदना और मूल्य-बोध के स्तर पर पाठकों को झकझोरती हैं। यह शोधपत्र गोविन्द मिश्र के प्रमुख उपन्यासों — कई चाँद थे सरे-आसमान, पार जल में, अहेर, धीर समान चुप — के माध्यम से यह स्पष्ट करता है कि लेखक ने किस प्रकार समाज में व्याप्त विसंगतियों और मूल्यों के क्षरण को चित्रित करते हुए साहित्य को सामाजिक विमर्श का एक सशक्त माध्यम बनाया है।
इस अध्ययन का उद्देश्य गोविन्द मिश्र के साहित्य में सामाजिक यथार्थ की प्रस्तुति, उसके स्रोत, प्रभाव और साहित्यिक शिल्प के माध्यम से उसकी प्रभावशीलता को उजागर करना है। निष्कर्षतः यह शोध यह स्थापित करता है कि गोविन्द मिश्र का साहित्य न केवल हिंदी कथा साहित्य की समृद्ध परंपरा में उल्लेखनीय योगदान है, बल्कि यह समकालीन सामाजिक चेतना और परिवर्तन की प्रक्रिया को भी प्रोत्साहित करता है।
Published In Volume 7, Issue 3, May-June 2025
Published On 2025-06-25

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