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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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महात्मा गांधी के शैक्षिक चिंतन एवं नई शिक्षा नीति 2020 पर अध्ययनः (भारतीय परिप्रेक्ष्य में)

Author(s) Ms. Poonam Kushwaha, Mr. Anil Kumar Singh Kushwaha
Country India
Abstract महात्मा गांधी का शैक्षिक चिंतन भारतीय शिक्षा की आत्मा को जागृत करने वाला दर्शन है। उनका मानना था कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर, नैतिक और सामाजिक रूप से उत्तरदायी नागरिक बनाने की प्रक्रिया है। उन्होंने ‘बुनियादी शिक्षा’ या ‘नई तालीम’ का सुझाव दिया जिसमें बालक के मस्तिष्क, हृदय और हाथ का समविकसित प्रशिक्षण हो। शिक्षा श्रम से जुड़ी होनी चाहिए, मातृभाषा में दी जाए और चरित्र निर्माण पर आधारित हो।

सन् 2020 में भारत सरकार ने जो नई शिक्षा नीति घोषित की, उसमें गांधीजी के कई विचारों की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जैसे कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में देना, कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा का आरंभ, नैतिक शिक्षा पर बल, लचीलापन और समावेशिता जैसे बिंदु गांधीवादी शिक्षा के मूल तत्व हैं।

हालाँकि, नीति में वैश्वीकरण, डिजिटल शिक्षा और निजीकरण जैसे कुछ ऐसे तत्व भी हैं जो गांधीजी के शुद्ध समाज-सेवी दृष्टिकोण से भिन्न हैं। परंतु यह भी स्पष्ट है कि नई शिक्षा नीति 2020 ने गांधीजी के शैक्षिक चिंतन को आधुनिक संदर्भ में अपनाने की दिशा में ठोस प्रयास किया है।

इस अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि गांधीवादी शिक्षा और नई शिक्षा नीति 2020 दोनों का समन्वय भारतीय शिक्षा प्रणाली को मूल्यनिष्ठ, व्यावसायिक और आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम है। आवश्यकता है कि इस नीति को जमीनी स्तर पर लागू कर गांधीजी के सपनों की ‘समग्र शिक्षा’ को साकार किया जाए।
Keywords महात्मा गांधी, शैक्षिक चिंतन, बुनियादी शिक्षा, नई शिक्षा नीति 2020, बाल-केंद्रित शिक्षा, मातृभाषा, कला शिक्षा, नवाचार, समग्र विकास।
Field Sociology > Philosophy / Psychology / Religion
Published In Volume 7, Issue 4, July-August 2025
Published On 2025-07-17
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i04.51255
Short DOI https://doi.org/g9t2g8

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