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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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नगरीकरण और विदिशा के सामाजिक - आर्थिक विकास का ऐतिहासिक अध्ययन

Author(s) Ms. Ranu Raghuwanshi, Dr. Geeta Chaudhary
Country India
Abstract किसी देश या प्रदेश की जनसंख्या से आशय उस देश या प्रदेश की सीमा में एक निश्चित समय पर निवसित कुल जनसंख्या से होता है जबकि नगरीय जनसंख्या से आशय एक निश्चित समय पर नगरीय अधिवास में निवास करने वाली जनसंख्या से होता है। अंग्रेजी का अर्बन शब्द लैटिन भाषा के अर्बस और अरबनस शब्दो से बना है जिसका अर्थ क्रमशः नगर और नगर से सम्बन्धित बाते है। वान रिचथाफेन के अनुसार 'नगर के अन्तर्गत एक ऐसा सुव्यवस्थित वर्ग निहित है जहाँ का मुख्य कार्य वाणिज्य और उद्योग से सम्बन्धित होता है।" जनगणना रिपोर्ट 2011 के अनुसार भारत की कुल नगरीय जनसंख्या 37.71 करोड़ है जो सम्पूर्ण जनसंख्या का लगभग 31.2 प्रतिशत है।
नगरीकरण से अभिप्राय ग्रामीण जनसंख्या का नगरीय जनसंख्या में परिवर्तित होने से है। अनेकानेक कारणों से जब ग्रामीण जनसंख्या, नगरीय जनसंख्या में परिवर्तित होती है तो बदलाव की इस प्रक्रिया को नगरीकरण कहा जाता है। विदिशा जो केवल एक जिला के रूप में ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही एक व्यापारिक नगर के रूप में विकसित होता आ रहा है। हमें इसकी जानकारी रामायण जैन, बौद्ध तथा अन्य ऐतिहासिक ग्रथों से मिलती है। विदिशा का विकास समय के परिवर्तन होता रहा है। विदिशा भारत के मध्य में स्थित होने के कारण यह कई राजवंशों की राजधानी भी रहा है । इसकी विकास गाथा प्राचीन काल से शुरू होती है और वर्तमान स्वरूप के रूप में प्रस्तुत करती है।
Keywords जनसंख्या, नगरीकरण, भारतीय, परिवर्तित, नगर, विदिशा
Field Arts
Published In Volume 7, Issue 4, July-August 2025
Published On 2025-07-16
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i04.51337
Short DOI https://doi.org/g9t2g6

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