International Journal For Multidisciplinary Research
E-ISSN: 2582-2160
•
Impact Factor: 9.24
A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal
Home
Research Paper
Submit Research Paper
Publication Guidelines
Publication Charges
Upload Documents
Track Status / Pay Fees / Download Publication Certi.
Editors & Reviewers
View All
Join as a Reviewer
Reviewer Referral Program
Get Membership Certificate
Current Issue
Publication Archive
Conference
Publishing Conf. with IJFMR
Upcoming Conference(s) ↓
WSMCDD-2025
GSMCDD-2025
Conferences Published ↓
RBS:RH-COVID-19 (2023)
ICMRS'23
PIPRDA-2023
Contact Us
Plagiarism is checked by the leading plagiarism checker
Call for Paper
Volume 6 Issue 5
September-October 2024
Indexing Partners
आधुनिक हिन्दी कहानियों में मध्यवर्गीय चेतना
Author(s) | डॉ. पोरिका नागमणी |
---|---|
Country | India |
Abstract | कहानी हिन्दी साहित्य की प्रमुख कथात्मक विधा है आधुनिक हिन्दी कहानी का आरंभ 20वीं सदी में हुआ हिन्दी साहित्य की रंजनात्मक विधाओं में कहानी का स्थान सशक्त एवं महत्वपूर्ण हैं। कहानी अपने लघु कलेवर में सम्पूर्ण सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक परिवेश के परिवर्तित रूप को चित्रित करने वाली लोकप्रिय विधा है। पिछले एक सदी में हिन्दी में कहानी ने आदर्शवाद, यथार्थवाद, प्रगतिवाद, मनोविश्लेषणवाद, आंचलिकता, मध्यवर्ग चेतना आदि के दौर से गुजरते हुए सुदीर्घ यात्रा में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। कहानी बदलते हुए समय और समाज के साथ चलते हुये निरंतर अपने को नये रूप रंग में ढालती रही हैं। समकालीन कहानी का यही दृष्टिकोण कहानी आन्दोलनों की संकीर्णताओं से मुक्त करके निखरा रूप प्रदान करता है। कुछ विद्वानों ने इसे कहानी आन्दोलन से सम्बन्ध कर रेखाकित करने का प्रयास किया लेकिन नये भाव बोध, शैली शिल्प, कथ्य और भाषा के नये तेवर से इसे अलग बनाये रखा कहानी विधा में कई आन्दोलन चले जैसे नयी कहानी, समान्तर कहानी, सचेतन कहानी. जनवादी कहानी आदि। कथानक के विकास की नाटकीय योजनाओं जैसी आधुनिक कहानी में मिलती हैं। पुरानी कहानियों में उसका अभाव दिखता है। कलापूर्ण उतार चढ़ाव कहानी के कथानक में आज देखा जा सकता है वैसा प्राचीन काल की कहानियों में देखना सम्भव नहीं था। प्राचीन कहानी का अन्त सुखान्त होता था वही आधुनिक कहानी यथार्थपूर्ण हैं। अतः वह सुखान्त होता था वही आधुनिक कहानी यथार्थपूर्ण है । अतः वह सुखान्त कम दुखान्त अधिक होती है अतः आधुनिक कहानी साहित्य का वह विकसित कलात्मक रूप है जिसमें लेखक अपनी कल्पना शक्ति के माध्यम से कम पात्रों अथवा चरित्रों के द्वारा कम से कम घटनाओं और प्रसंगों की सहायता से मनोवाछिंत कथानक, चरित्र, वातावरण, दृश्य के सहारे अथवा प्रभाव की सृष्टि करता है। आज आधुनिक कहानियों में सामाजिक आदर्श का रूप बदल गया है पूर्वकालीन कहानियों मे आदर्शवाद का सम्बन्ध कल्पना से था लेकिन आधुनिक काल की कहानियों का सम्बन्ध यथार्थता से हो गया है। |
Keywords | - |
Published In | Volume 2, Issue 3, May-June 2020 |
Published On | 2020-06-29 |
Cite This | आधुनिक हिन्दी कहानियों में मध्यवर्गीय चेतना - डॉ. पोरिका नागमणी - IJFMR Volume 2, Issue 3, May-June 2020. |
Share this
E-ISSN 2582-2160
doi
CrossRef DOI is assigned to each research paper published in our journal.
IJFMR DOI prefix is
10.36948/ijfmr
Downloads
All research papers published on this website are licensed under Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License, and all rights belong to their respective authors/researchers.