International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार हेतु बंदिशो का माध्यम

Author(s) Mr. Kumar Prashant Bharti
Country India
Abstract शास्त्रीय संगीत के प्रचार में ”बंदिश“ एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। बंदिश एक विशिष्ट राग में सेट की गई एक निश्चित रचना हैं। बंदिश का अर्थ हैं बंधा हुआ जो स्वरों में किसी ताल व लय में एवं किसी काव्य में बंधी होती हैं। उसे बंदिश कहते हैं। सामान्य भाषा में हम बंदिश को सीमा भी कहते हैं। बंदिश मानक संरचित गायन हेतु संगीत को साहित्यिक प्रदान करती हैं। बंदिश हिन्दुस्तानी गायन और वादन संगीत में प्रयोग की जाती है। यह संगीत को समझने उसकी सराहना करने में मदद करती हैं। बंदिश शास्त्रीय संगीत के प्रचार में कई मदद करती हैं। बंदिशों को रेडियो, टीवी, और अन्य मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता हैं, जिससे अधिक लोग शास्त्रीय संगीत से परिचित हो सकते हैं। बंदिश की मधुरता और जटिलता श्रोताओं में शास्त्रीय संगीत के प्रति रूचि बढ़ाती हैं। बंदिश संगीतकारों को नई-नई रचनाए बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। जिससे शास्त्रीय संगीत में नई प्रतिमाएं उभर कर आती हैं। बंदिश का महत्व शास्त्रीय राग संगीत, लोक संगीत और सुगम संगीत सभी में हैं,बंदिश एक प्रकार का दर्पण हैं। जिसमें रागों का स्वरूप उस समय के रीति-रिवाजों का स्वरूप और भगवद् स्वरूप की झाँकी मिलती हैं। भारतीय संगीत में बंदिश की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही हैं। आप अक्सर संगीत के कार्यक्रमों में बंदिश सुन सकते हैं,, ये संगीतकार अपनी बंदिशों के माध्यम से राग की सुन्दरता को प्रदर्शित करते हैं और श्रोताओं को आनंद प्रदान करते हैं। कुल मिलाकार बंदिश शास्त्रीय संगीत प्रचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि यह संगीत को समझने में मदद करती हैं, रूचि बढ़ाती हैं और संगीत के सृजन को बढ़ावा देती हैं।
Keywords बंदिश, काव्य, रंजकता, पद, ताल
Field Arts > Movies / Music / TV
Published In Volume 7, Issue 3, May-June 2025
Published On 2025-06-28

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