International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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जातीय परिप्रेक्ष्य में सतत आजीविका और मानवीय गरिमा का संघर्ष: ग्रामीण उत्तर प्रदेश के मुसहर युवाओं का अध्ययन

Author(s) Dr. अनीता बाजपेई, Ms. आकांक्षा शुक्ला
Country India
Abstract मुसहर समुदाय के युवा आज भी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं और जाति आधारित भेदभाव के कारण समाज में अनेक स्तरों पर अपमान और उपेक्षा का सामना करते हैं। समकालीन संदर्भ में, जातीय इतिहास, कलंकित पहचान, सामाजिक मूल्यहीनता और नगण्य भागीदारी की स्थिति उनके लिए शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सहयोग की उपलब्धता को अत्यंत जटिल बना देती है। ‘सततता’ (Sustainability) उनके लिए केवल एक विकास लक्ष्य नहीं, बल्कि एक जीवित रहने की आवश्यकता बन चुकी है। गरिमा की अनुपस्थिति न केवल उनके श्रम को अवमूल्यित करती है, बल्कि उन्हें अस्थायी और पलायनशील आजीविका की ओर भी धकेलती है।
यह शोध कार्य पीएच.डी. स्तर पर एक व्यापक अध्ययन पर आधारित है, जिसमें गुणात्मक अनुसंधान पद्धतियाँ अपनाई गई हैं। इन गहराईपूर्ण साक्षात्कारों, मौखिक इतिहास, ऋतुकालीन आजीविका कैलेण्डर आदि तकनीकों के माध्यम से मुसहर युवाओं की सामाजिक संरचना, आकांक्षाएँ, आजीविका संघर्ष और गरिमा के भाव को समझने का प्रयास किया गया है। जाति की ऐतिहासिक हाशिएबंदी आज भी उनके जीवन, पहचान और स्थायित्व की आकांक्षाओं को परिभाषित करती है।
Keywords आजीविका, युवा, सततता, गरिमा, जाति, सामाजिक बहिष्करण, पलायन, हाशिएकरण, पहचान संकट, ग्रामीण भारत, दलित युवा
Field Sociology > Politics
Published In Volume 7, Issue 4, July-August 2025
Published On 2025-07-15
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i04.50784
Short DOI https://doi.org/g9s9n2

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