International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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Shiksha ka Dalit Chetana ke Vikas me Yogdan evn Mahatva

Author(s) Dr. SHASHANK KUMAR, Mr. DANVEER GAUTAM
Country India
Abstract सारांश
भारत जैसे विविध जातीय संरचना वाले समाज में शिक्षा ने दलित चेतना को विकसित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐतिहासिक रूप से जातिगत भेदभाव के कारण दलित समुदाय को शिक्षा से दूर रखा गया, जिससे वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ गए। डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महान विचारकों ने शिक्षा को दलितों के आत्मसम्मान और अधिकारों की प्राप्ति का प्रमुख साधन बताया। शिक्षा ने न केवल उन्हें अक्षरज्ञान प्रदान किया, बल्कि सामाजिक अन्याय के प्रति सजगता, आत्मसम्मान की भावना और संघर्ष की प्रेरणा भी दी। आज दलित चेतना का प्रभाव विश्वविद्यालयों, साहित्यिक रचनाओं, राजनीतिक भागीदारी, मीडिया और सामाजिक आंदोलनों में प्रत्यक्ष रूप से परिलक्षित होता है। शिक्षा ने दलित समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य भी किया है। यह चेतना अब समता, समावेश और न्याय की स्थापना के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। डिजिटल युग और आरक्षण व्यवस्था ने भी इस चेतना को नई दिशा और बल प्रदान किया है। अतः शिक्षा न केवल ज्ञान का माध्यम है, बल्कि वह दलित चेतना की लौ है, जो समतामूलक समाज के निर्माण में आधारशिला सिद्ध हो रही है।
Keywords दलित चेतना, सामाजिक न्याय, डॉ. भीमराव अंबेडकर, शिक्षा और सशक्तिकरण, सामाजिक समावेशन आदि
Field Sociology > Education
Published In Volume 7, Issue 4, July-August 2025
Published On 2025-07-23
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i04.51868
Short DOI https://doi.org/g9t2f2

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