International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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मध्यप्रदेश की कोरकू जनजाति की मूल समस्यायों का अध्ययन”

Author(s) Ms. Sandhya Nirvel
Country India
Abstract भारतीय समाज में विभिन्न जनजातियों का पाया जाना हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। भारत के मध्य में स्थित मध्यप्रदेश राज्य इसी धरोहर से सम्पन्न है। मध्यप्रदेश भारत का सर्वाधिक (21.1%, 1,53,16,784) अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाला राज्य है, जिसमें कोरकू जनजाति का स्थान पांचवां है। जनसंख्या की दृष्टि से इनकी जनसंख्या (जनगणना 2011) 7,31,767 (4.77%) हैं जो अधिकांशतः मध्यप्रदेश के दक्षिण के जिले - खंडवा, बैतूल, हरदा, होशंगाबाद, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, खरगोन,बड़वानी में निवास करती हैं। ये जनजाति आधुनिक समाज से दूर जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती हैं। जिसके कारण इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये जनजाति अशिक्षा, गरीबी, कुपोषण, ऋणग्रस्तता, बेरोजगारी, पलायन, भूमि अधिकारों संबंधित गंभीर समस्याओं से ग्रसित हैं। इनका जीवन अधिकांशतः कृषि तथा वन उत्पादों पर निर्भर हैं I बेरोजगारी, गरीबी, ऋणग्रस्तता और भूमि अधिकारों की कमी के कारण इन्हें कई आर्थिक समस्याओं का जैसे बेरोजगारी के कारण गरीबी का, गरीबी के कारण ऋणग्रस्तता और कुपोषण की समस्या का सामना करना पड़ता हैं । अशिक्षा तथा जागरूकता की कमी से सरकारी योजनाओं का लाभ इन्हें नहीं मिल पाता हैI जिससे ये जनजाति अत्यंत पिछड़ी हुई हैं। कुपोषण के कारण कोरकू जनजाति गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
Keywords कोरकू जनजाति, समस्याएं, गरीबी, ऋणग्रस्तता, अशिक्षा, कुपोषण, बेरोजगारी
Field Arts
Published In Volume 7, Issue 4, July-August 2025
Published On 2025-08-03
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i04.52923
Short DOI https://doi.org/g9vzmd

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