International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 7, Issue 4 (July-August 2025) Submit your research before last 3 days of August to publish your research paper in the issue of July-August.

गोस्वामी तुलसीदास प्रणीत साहित्य में मानवीय गुणों की अवधारणा

Author(s) प्रो. रश्मि कुमार
Country India
Abstract गोस्वामी तुलसीदास जी मात्रा एक भक्त कवि ही नहीं थे वरन एक महान द्रष्टा, मानवतावादी चिन्तक और मनीषी भी थे। तत्कालीन समाज की स्थिति और अन्य चुनौतियों को देखते हुए गोस्वामी जी की दूरदर्शिता ने उन्हें ऐसे ग्रन्थ के निर्माण की प्रेरणा दी जिसकी भाषा सामान्य जनता के पहुँच में हो। तुलसीदास का आविर्भाव जिस युग में हुआ और जो चुनौतियाँ उनके सामने थीं उस अन्ध युग को ऐसे आदर्श की आवश्यकता थी जो जन मन को छूकर अनुकरण करने के लिए प्रेरित करे, आवश्यकता थी ऐसे नायक की जो शाब्दिक उच्चारण के स्थान पर आचरण द्वारा आदर्श प्रस्तुत कर सके। उच्चतर मानव गुणों से जुड़ा एक चरित्रा जो फतवे नहीं देता बल्कि अपने आचरण से उन्हं प्रामाणिक करता है। व्यापक एवं सर्वग्राही दृष्टि से सम्पन्न तुलसीदास ने समाज के कल्याण एवं उद्धार के लिए उच्चतर मूल्यों, शील, मर्यादा, करूणा, आदि से युक्त राम का आदर्श चरित्रा जनता के समक्ष रखा। राम एक व्यक्ति चरित्रा न होकर समाज नायक, लोक नायक हैं जिनके माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी मानवीय गुणों का प्रक्षेपण किये हैं। मानस के राम उदार चेता महापुरुष हैं। उनके यहाँ विस्तार है, व्यापकता है, औदार्य है, प्रेम है, करूण, दया है, परोपकार है। मानवीय गुणों में कभी संकीर्णता नहीं होती वे व्यापक और शाश्वत होते हैं, उनका स्वरूप सार्वभौमिक होता है। गोस्वामी तुलसीदासजी राम के माध्यम से शौर्य, धैर्य, बल, विवेक, परोपकार, क्षमा, दया, समता, दान, संतोष, अहिंसा आदि सार्वभौम मानवीय गुणों का गुणगान किये हैं।
Keywords गोस्वामी तुलसीदास, शील, मर्यादा, करूणा, मानवीय गुणों और सार्वभौमिक
Published In Volume 5, Issue 5, September-October 2023
Published On 2023-10-19
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i05.7712
Short DOI https://doi.org/gswg5w

Share this